बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 भूगोल - सुदूर संवेदन एवं भौगोलिक सूचना प्रणाली के मूल तत्व बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 भूगोल - सुदूर संवेदन एवं भौगोलिक सूचना प्रणाली के मूल तत्वसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 भूगोल - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 11
कम्प्यूटर का महत्व
(Importance of Computer in
Geographical Information System)
प्रश्न- भौगोलिक सूचना प्रणाली में उपयोग होने वाले विभिन्न उपकरणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर -
(Elements of GIS)
कम्प्यूटर आधारित किसी भी अन्य सूचना तंत्र की भाँति, भौगोलिक सूचना तंत्र की तकनीक के निम्नांकित चार मुख्य घटक तत्व होते हैं-
(1) कम्प्यूटर हार्डवेयर (Computer hardware) - प्रत्येक कम्प्यूटर तंत्र पाँच मूलभूत क्रियाएँ करता है-
(i) निवेश (inputing),
(ii) संचयन ( storing),
(iii) संसाधन (processing),
(iv) निर्गम ( outputing)
(v) नियंत्रण ( controlling)।
कम्प्यूटर तंत्र में डाटा (data) एवं अनुदेश (instruction) प्रविष्ट करने की संक्रिया को निवेश या निवेश करना (inputing) कहते हैं। संचयन का अभिप्रायः प्रवेशी दत्त एवं अनुदेशों को कंम्प्यूटर तंत्र में सुरक्षित रहना है जिससे डाटा संसाधन हेतु उन्हें कभी भी प्रयोग में लाया जा सके। प्रविष्ट डाटा को दिये गये अनुदेशों के अनुसार गणितीय या तर्कसंगत विधियों के द्वारा उपयोगी सूचनाओं में परिवर्तित करने की क्रिया- विध डेटा संसाधन कहलाती है। इन उपयोगी सूचनाओं या परिणामों को प्रतिवेदन (report) या चाक्षुण विधि (visual method) के द्वारा उपयोगकर्ता (user) के समक्ष प्रस्तुत करना निर्गम कहा जाता है। कम्प्यूटर तंत्र में उपर्युक्त चारों प्रक्रियाओं को पूर्ण करने के ढंग एवं क्रम (sequence) को सुनिश्चित करने की क्रिया नियंत्रण कहलाती है।
उपर्युक्त मूलभूत कार्यों का निष्पादन करने के लिये कम्प्यूटर तंत्र में उपलब्ध मशीनरी व इलेक्ट्रॉनिक घटकों (electronic components) को कम्प्यूटर हार्डवेयर कहते हैं। इस हार्डवेयर को पाँच एककों (units) में विभाजित किया जा सकता है-
(i) निवेश यूनिट (input unit ),
(ii) निर्गम यूनिट ( output unit ),
(iii) संचयन यूनिट ( storage unit ),
(iv) गणितीय तर्क यूनिट ( arithmetic logic unit) तथा
(v) नियन्त्रण यूनिट (control unit )।
अन्तिम दो यूनिटों को सम्मिलित रूप से केन्द्रीय संसाधन यूनिट (central processing unit) कहा जाता है। कम्प्यूटर तंत्र में अनुदेशों (instructions) व असंसाधित डाटा (raw data) को प्रविष्ट करने के लिये परिस्थितिनुसार भिन्न-भिन्न युक्तियों (devices) का प्रयोग करते हैं। इनमें कुंजी पटल युक्ति (keyboard device) सबसे सामान्य है, जिसे टाइपराइटर की तरह प्रयोग में लाते हैं। डाटा प्रविष्टि (data entry) की अन्य युक्तियों में प्रकाशिक लक्षण पाठक (optical character reader, OCR ), चुम्बकीय स्थायी लक्षण पाठक (magnetic ink character reader, MICR) व माउस (mouse) आदि, उल्लेखनीय हैं। कम्प्यूटर हमारी भाषा को नहीं समझता अतः कम्प्यूटर तंत्र की निवेश यूनिट (input unit ) उपयोगकर्ता के द्वारा प्रविष्ट किये गये डाटा व अनुदेशों को, कम्प्यूटर ग्राह्य भाषा अर्थात् द्विआधारी अंकों (binary digits, BITS) में बदलकर, तंत्र की संचयन यूनिट को भेज देता है।
कम्प्यूटर तंत्र की संचयन यूनिट ( storage unit) इस प्रकार डिजाइन की जाती है कि उसमें सभी प्रकार के असंसाधित डाटा (unprocessed data), डाटा संसाधन के लिए दिये गये अनुदेशों (instructions), अनुदेशों के क्रम में सम्पन्न उत्तरोत्तर विश्लेषणों के नतीजे व अन्तिम परिणामों का भण्डारण हो सके। इस प्रकार इस यूनिट का कार्य कम्प्यूटर में प्रविष्ट किये गये डाटा व अनुदेशों, डाटा संसाधन के भिन्न-भिन्न चरणें में प्राप्त परिणामों व अन्तिम परिणामों को सुरक्षित रखना है जिससे उन्हें कभी भी देखा या प्रयोग में लाया जा सके।
कम्प्यूटर तंत्र की गणितीय तर्क यूनिट (ALU) वह स्थान है जहाँ अनुदेशों के अनुसार डाटा संसाधन की वास्तविक प्रक्रिया सम्पन्न होती है। यह यूनिट कम्प्यूटर की संचयन यूनिट से असंसाधित डाटा प्राप्त करने के उपरान्त, दिये गये अनुदेशों के अनुसार इस डाटा को विभिन्न चरणों में संसाधित करती है तथा प्रत्येक चरण के परिणाम को, भण्डारण एवं आगामी विश्लेषण के लिये पुनः प्राप्त करने हेतु तंत्र की संचयन यूनिट में स्थानांतरित करती रहती है। इस प्रकार अन्तिम परिणाम प्राप्त होने तक संचयन यूनिट तथा गणितीय तर्क यूनिट के मध्य, उत्तरोत्तर चरणों के संसाधित डाटा का आदान-प्रदान जारी रहता है। विश्लेषण के अन्तिम परिणाम को संचयन यूनिट, कम्प्यूटर की भाषा में, तंत्र 7 की निर्गम यूनिट ( output unit) में भेज देती है।
कम्प्यूटर तंत्र की नियंत्रण यूनिट (control unit) को 'कम्प्यूटर का मस्तिष्क' कहा जाता है। जिस प्रकार हमारे द्वारा की जाने वाली सभी क्रियाओं पर मस्तिष्क का नियंत्रण होता है, ठीक उसी प्रकार यह यूनिट कम्प्यूटर तंत्र की अन्य सभी यूनिटों की कार्यप्रणाली को निर्देशित एवं नियन्त्रित करती है। इस यूनिट का कार्य किसी प्रोग्राम के अनुदेशों को समझकर, उन अनुदेशों के अनुपालन हेतु केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र (central nervous system) 7 की भाँति कम्प्यूटर की अन्य यूनिटों को आवश्यक संकेत या सिग्नल (signal) देना है। गणितीय तर्क यूनिट (ALU ) तथा नियंत्रण यूनिट (control unit) को सम्मिलित रूप से कम्प्यूटर तंत्र के केन्द्रीय संसाधन यूनिट (central processing unit, CPU) के नाम से पुकारा जाता है।
डाटा संसाधन के फलस्वरूप प्राप्त परिणाम कम्प्यूटर तंत्र की संचयन यूनिट में सुरक्षित रहते हैं। चूँकि ये परिणाम भी द्विआधारी अंकों (BITS) में होते हैं अत: केन्द्रीय संसाधन यूनिट (CPU) से संकेत मिलने पर तंत्र की निर्गम यूनिट (output unit) द्विआधारी अंकों में संचित परिणामों को हमारे पढ़ सकने योग्य भाषा में बदलकर, कम्प्यूटर के स्क्रीन पर प्रदर्शित कर देती है।
(2) कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर (Computer software) - किसी कम्प्यूटर का हार्डवेयर (मशीनरी) हमारे द्वारा दिये गये अनुदेशों के अनुसार कार्य करता है। कम्प्यूटर तंत्र में प्रविष्ट किये गये इन अनुदेशों (instructions) को कम्प्यूटर प्रोग्राम या कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर कहते हैं। दूसरे शब्दों में, सॉफ्टवेयर किसी कम्प्यूटर के हार्डवेयर को यह बतलाता है कि उसे क्या करना है और कैसे करना है। इस प्रकार कम्प्यूटर तंत्र में हार्डवेयर तथा सॉफ्टवेयर एक-दूसरे के पूरक होते हैं। कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर को सामान्यतः दो बड़े वर्गों में विभाजित किया जाता है - (i) अनुप्रयोग सॉफ्टवेयर (application software) तथा (ii) सिस्टम सॉफ्टवेयर (system software)। किसी विशेष उद्देश्य की पूर्ति हेतु बनाये गये एक या एक से अधिक प्रोग्रामों के समुच्चय (set) को अनुप्रयोग सॉफ्टवेयर कहते हैं तथा कम्प्यूटर तंत्र के प्रचालन (operation) को नियन्त्रित करने के लिये लिखे गये एक या एक से अधिक प्रोग्रामों के समुच्चय को तंत्र सॉफ्टवेयर कहा जाता है।
(3) लाइववेयर (Liveware ) - यहाँ लाइववेयर से हमारा अभिप्राय भौगोलिक सूचना तंत्र के अन्तर्गत प्रारम्भ से अन्त तक की जाने वाली सम्पूर्ण क्रिया - विधि में निपुण ऐसे वैज्ञानिकों, कम्प्यूटर क्रमादेशकों (programmers), तकनीकज्ञों (technicians) व सांख्यिकीविदों (statisticians) से है, जो सम्बन्धित जी.आई.एस. से अपेक्षित सूचना प्राप्त करने के लिये आवश्यक डाटा आधार (data base) का चयन करके, उसका सही-सही विश्लेषण कर सकें। दूसरे शब्दों में, चयनित विषय से अनभिज्ञता, अपूर्ण डाटा आधार अथवा त्रुटिपूर्ण सॉफ्टवेयर होने की दशा में जी.आई.एस. विश्लेषण से प्राप्त परिणाम गलत व भ्रामक हो सकते हैं।
(4) डाटाबेस (Data base ) - कम्प्यूटर में संचित डाटा को कोई संगठित समुच्चय ( organised set ), जिसे आवश्यकता होने पर देखा जा सके, अथवा प्रयोग में लाया जा सके, डाटाबेस कहलाता है। डाटाबेस के अभाव में किसी भी प्रकार का विश्लेषण सम्भव नहीं है। यह डाटाबेस फाइलों (files) में बँटा होता है तथा प्रत्येक फाइल में विश्लेषण के लिये उपयुक्त किसी एक पक्ष का गुण डाटा (attribute data) संचित होता है। दूसरे शब्दों में, भिन्न-भिन्न प्रकार के गुण डाटा की अलग-अलग फाइलें होती हैं जिससे आवश्यकता होने पर किसी एक फाइल के डाटा को दूसरी फाइल के डाटा पर अधिचित्र (overlay) किया जा सके।
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